हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की सूची देर से जारी की। पहले, बुधवार रात 11:30 बजे 40 नामों की सूची आई। फिर, गुरुवार सुबह 2 बजे पांच और नाम जोड़े गए। आखिरकार, गुरुवार दोपहर तक बाकी नाम घोषित हुए। यह तब हुआ जब नामांकन का समय लगभग समाप्त हो चुका था।
देरी की वजह क्या थी?
दरअसल, इस देरी के पीछे कांग्रेस के अंदर एक और संघर्ष चल रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अंतिम समय में लगभग आधा दर्जन सीटों पर आपत्ति जताई। इससे पार्टी नेतृत्व आश्चर्यचकित हो गया। विशेष रूप से, हुड्डा ने नए चेहरों की उम्मीदवारी पर सवाल उठाए, जिनमें से कई पहली बार चुनाव लड़ रहे थे।
कलायत सीट पर विवाद
एक बड़ा मामला कलायत सीट का था। हुड्डा ने “एग्जाम वारियर” श्वेता धुल की उम्मीदवारी पर आपत्ति की। हालांकि, एक वरिष्ठ नेता धुल का समर्थन कर रहे थे। दूसरी ओर, हुड्डा समर्थक और हिसार सांसद जय प्रकाश अपने बेटे विकास सहारण के लिए टिकट मांग रहे थे। अंततः, सहारण का नाम 40 उम्मीदवारों की पहली सूची में आया।
अंतिम समय में बदलाव
हुड्डा की आपत्तियों ने पार्टी की चुनावी रणनीति को प्रभावित किया। अंतिम समय में इतने बदलाव कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। जबकि, अन्य पार्टियों ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। कांग्रेस की यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह चुनाव परिणाम तय करेंगे।
कांग्रेस के लिए चुनौती
यह देरी पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। खासकर, जब चुनावी तैयारी का समय कम हो। कांग्रेस ने उम्मीदवारों का चयन अंततः पार्टी के भीतर के संघर्ष और दबाव के बीच किया। अब देखना यह है कि कांग्रेस इस रणनीति से चुनाव में कितना आगे बढ़ती है।
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