हरियाणा चुनाव 2024: टिकट विवाद में BJP और कांग्रेस नेताओं का दल-बदल
हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को टिकट से वंचित किए जाने के बाद, राज्य में बागी उम्मीदवारों का एक नया दौर शुरू हो गया है। ये बागी नेता, जो कभी अपनी-अपनी पार्टियों के प्रमुख सदस्य हुआ करते थे, अब स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं और राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदलने की संभावना बढ़ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BJP को इस विवाद से अधिक नुकसान हो सकता है, जबकि कांग्रेस भी आंतरिक असंतोष से जूझ रही है।
गुरुग्राम में BJP के टिकट वितरण पर असंतोष
गुरुग्राम में BJP के नेता मुक़ेश शर्मा को टिकट दिए जाने के फैसले ने पार्टी के भीतर भारी असंतोष पैदा किया है। इस फैसले के बाद वरिष्ठ पार्टी नेता नवीन गोयल और जी.एल. शर्मा ने पार्टी छोड़ दी। नवीन गोयल ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में गुरुग्राम से नामांकन दाखिल किया, जबकि जी.एल. शर्मा कांग्रेस में शामिल हो गए। गोयल ने अपनी ताकत दिखाने के लिए एक बड़ी जनसभा का आयोजन भी किया।
नवीन गोयल ने BJP की आलोचना करते हुए कहा, “पार्टी ने टिकट वितरण में पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया और बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी। यह हरियाणा के कई हिस्सों में BJP को नुकसान पहुंचा सकता है।”
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अन्य सीटों पर भी असंतोष
सिर्फ गुरुग्राम ही नहीं, सोहना, पटौदी और रेवाड़ी जैसे क्षेत्रों में भी BJP के टिकट वितरण से असंतोष फैल रहा है। सोहना में पार्टी ने मौजूदा विधायक संजय सिंह की जगह तेजपाल तंवर को टिकट दिया, जबकि पटौदी में एसपी जारवता की जगह बिमला चौधरी को टिकट दिया गया। इसी तरह, रेवाड़ी में लक्ष्मण सिंह को टिकट मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच विरोध शुरू हो गया है।
कांग्रेस में भी असंतोष
हालांकि कांग्रेस में असंतोष BJP जितना गंभीर नहीं है, लेकिन पार्टी में भी टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी है। गुरुग्राम और बादशाहपुर जैसे क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेता नए चेहरों को टिकट दिए जाने से नाराज़ हैं। बादशाहपुर में वीरेंद्र सिंह, प्रदीप जैलदार और कमलबीर सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को टिकट से वंचित कर दिया गया।
बागियों की भूमिका और चुनावी समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और BJP के बीच सीधा मुकाबला होगा, जबकि स्वतंत्र उम्मीदवारों का बहुत बड़ा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन, अगर चुनाव करीबी होते हैं, तो ये बागी उम्मीदवार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
राम कंवर, राजनीतिक विश्लेषक और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर ने कहा, “केवल वे नेता जो स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं और जमीनी समर्थन रखते हैं, चुनाव में प्रभाव डाल सकेंगे।”
कांग्रेस और BJP का आत्मविश्वास
जहां BJP में टिकट वितरण को लेकर भारी असंतोष दिख रहा है, वहीं पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बीजेपी जिला अध्यक्ष कमल यादव ने कहा, “टिकट वितरण योग्यता के आधार पर किया गया है। हर सीट पर केवल एक ही टिकट दिया जा सकता है, इसलिए कुछ लोग असंतुष्ट रहेंगे। लेकिन पार्टी की जीत की संभावनाएं मजबूत हैं।”
कांग्रेस नेता सुखबीर कटारिया ने भी इसी तरह का दावा किया, “हर टिकट मेरिट के आधार पर दी गई है। पार्टी में कोई असंतोष नहीं है, और हम एकजुट होकर सरकार बनाएंगे।”
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