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यूपी : कांग्रेस-सपा में बढ़ती दूरियाँ

कांग्रेस और सपा के बीच चुनावी सीटों को लेकर तनाव

उत्तर प्रदेश उपचुनाव: कांग्रेस की सभी 10 सीटों पर तैयारी, सहयोगी सपा बनी दर्शक

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की 10 खाली विधानसभा सीटों के उपचुनावों की तैयारियों में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस ने जमीन पर अपने वरिष्ठ नेताओं को उतारकर यह संदेश दे दिया है कि पार्टी इस चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार है। वहीं, कांग्रेस के सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने अब तक ज्यादा सीटें साझा करने के लिए कोई खास उत्साह नहीं दिखाया है, जबकि 2022 के विधानसभा चुनावों में इन 10 में से 5 सीटें सपा ने जीती थीं। कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती थी, फिर भी पार्टी ने सभी 10 सीटों पर अपनी तैयारी शुरू कर दी है, जिससे सभी हैरान हैं।

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कांग्रेस की रणनीति: सभी सीटों पर उतरने की तैयारी

कांग्रेस ने इस बार न केवल राज्य के नेताओं को मैदान में उतारा है, बल्कि चार एआईसीसी सचिव और पांच नवनिर्वाचित सांसदों को भी जिम्मेदारी दी है। यह नियुक्तियां स्थानीय जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए की गई हैं। इससे पहले कांग्रेस ने इन 10 सीटों के लिए पर्यवेक्षकों की भी नियुक्ति की थी। कांग्रेस यूपी प्रमुख अजय राय, कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा, एआईसीसी के सचिव धीरज गुजर, तौकीर आलम, नीलांशु चतुर्वेदी और सत्य नारायण पटेल, और सांसद उज्जवल रमन सिंह, इमरान मसूद, के एल शर्मा, राकेश राठौर और तनुज पुनिया भी इस चुनावी अभियान का हिस्सा हैं।


उत्तर प्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस और सपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान, कांग्रेस चार सीटों पर जोर देते हुए मैदान में उतरी।

सीटें साझा करने पर सपा से असहमति

कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वे उपचुनाव में चार से कम सीटों पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “ये उपचुनाव पार्टी के लिए 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार करेंगे, इसलिए हम चार सीटों से कम पर समझौता नहीं करेंगे। लेकिन हम सभी 10 सीटों पर जमीन पर मजबूत तैयारी कर रहे हैं, ताकि संभावित उम्मीदवारों की पहचान हो सके।”

कांग्रेस का मुख्य मुद्दा: आरक्षण और संविधान की सुरक्षा

चुनाव प्रचार भाजपा सरकार पर आरक्षण और संविधान के खतरे को लेकर केंद्रित रहेगा। दलित नेता और पूर्व सांसद पी एल पुनिया को मिल्कीपुर (आरक्षित) सीट के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया है, जबकि उनके बेटे और सांसद तनुज पुनिया को गाजियाबाद सीट का पर्यवेक्षक बनाया गया है। इसके अलावा, बसपा के पूर्व मंत्री और दलित नेता सदल प्रसाद, जो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे, को मझवा विधानसभा सीट के लिए जिम्मेदारी दी गई है।

सपा की प्रतिक्रिया: कांग्रेस की तैयारी को ‘दबाव बनाने की रणनीति’ बताया

वहीं, सपा के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस की यह तैयारी महज दबाव बनाने की रणनीति है। सपा के एक नेता ने कहा, “हम जानते हैं कि गठबंधन जरूर होगा, लेकिन कितनी सीटों पर यह आने वाला समय बताएगा।” हालांकि, कांग्रेस और सपा ने इंडिया ब्लॉक के गठन के बाद से एक मजबूत रिश्ता बनाए रखा है, लेकिन हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सपा को टिकट नहीं दिला सकी थी।

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