“एक राष्ट्र, एक चुनाव”: मोदी कैबिनेट ने समवर्ती चुनावों की योजना को मंजूरी दी
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना को स्वीकृति दी।
- प्रस्ताव के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।
- योजना के लागू होने से चुनावी प्रक्रिया में स्थिरता और खर्च में कमी आएगी।
नई दिल्ली: भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना को मंजूरी दे दी है, जो भारतीय चुनावी प्रक्रिया को एक नई दिशा देने का इरादा रखती है। इस योजना के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जिससे चुनावों की आवृत्ति को कम किया जा सके और प्रशासनिक बोझ में कमी आए।
समवर्ती चुनावों की योजना
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी मिली है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे, इसके बाद स्थानीय निकाय चुनावों को एक 100 दिन की अवधि में समन्वित किया जाएगा। इस प्रस्ताव का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाना और बार-बार होने वाले चुनावों से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को हल करना है।
वित्तीय और प्रशासनिक लाभ
वर्तमान में, भारत में चुनाव विभिन्न स्तरों पर कई वर्षों तक फैले होते हैं, जिससे वित्तीय और प्रशासनिक बोझ बढ़ जाता है। बार-बार होने वाले चुनावों से न केवल सरकार के कामकाज में बाधाएं आती हैं, बल्कि यह सार्वजनिक धन की भी बर्बादी होती है। समवर्ती चुनावों से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है, जिससे चुनावी खर्चों में कमी आएगी और प्रशासनिक संसाधनों की बचत होगी।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में बार-बार होने वाले चुनावों के कारण उत्पन्न समस्याओं की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा कि यह चुनावी चक्र देश की प्रगति में बाधा डालता है और सरकार की योजनाओं को लागू करने में दिक्कतें पैदा करता है। मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के माध्यम से इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने की जरूरत पर जोर दिया है।
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