राजस्थान में चुनावी बिगुल बजने से पहले दलितों को लुभाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. सत्ताधारी कांग्रेस, भाजपा और अन्य सभी दूसरी पार्टियां दलितों पर डोरे डालकर खुद को उनका हमदर्द साबित करने की कोशिश कर रही हैं.
राजनैतिक पार्टिया खुद को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का असली वारिस बताने तक से नहीं चूक रही हैं. आपको बताते चले की राजस्थान में 34 सीट एससी के लिए रिजर्व हैं.
पिछले दिनों भाजपा उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर जयकारे लगाते नजर आए, और उन्होंने बीजेपी को दलितों की सच्ची हमदर्द पार्टी होने का करार दिया. साथ साथ पुनिया यह भी दावा कर रहे थे कि मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में भारत में अनुसूचित जाति का न केवल विकास तेजी से हुआ है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें पूरा सम्मान देने में भी केंद्र की सरकार ने अहम भूमिका निभाई है. पीएम आवास से लेकर प्रधानमंत्री अन्न योजना तक का सीधा फायदा दलितों को मिला है.
वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने भाजपा को दलित विरोधी पार्टी करार दिया है. पीडब्ल्यूडी मंत्री भजनलाल जाटव ने कहा कि भाजपा का दलित प्रेम दिखावा है. असल बात यह है की भापजा सिर्फ दलितों के वोट लेती है और फिर उनकी तरफ झांकती तक नहीं है उन्होंने यह दावा किया कि सीएम अशोक गहलोत ने पिछले 5 सालो में दलितों को समर्पित एक से बढ़कर एक योजनाओं की सौगात दी है. महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर दलितों के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को बढ़ाया है. इसलिए इस बार अनुसूचित जाति एकतरफा कांग्रेस को ही वोट करेगी.
बहुजन समाज पार्टी भी दलितों के भरोसे ही चुनाव मैदान में उतरती आ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में पार्टी ने छह सीटों पर जीत का परचम लहराया था लेकिन चुनाव के बाद बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये. बसपा का यही हाल पार्टी का 2008 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. उस समय भी बसपा के टिकट पर जीते सभी विधायक कांग्रेस में चले गये थे. इस बार पार्टी पूरी ताकत से काडर खड़ा कर समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट देने का दावा कर रही है.