बिहार की राजनीति: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद से मुलाकात के मायने
बिहार में राजनीति का माहौल एक बार फिर गर्म हो गया है। इस बार चर्चा में हैं बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पटना साहिब से बीजेपी सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की मुलाकात। रविवार, 12 जनवरी को यह मुलाकात सांसद रविशंकर प्रसाद के आवास पर हुई, जो लगभग एक घंटे तक चली। इस अनौपचारिक मुलाकात ने सियासी गलियारों में अटकलों को जन्म दे दिया है। हालांकि, दोनों ने इसे केवल शिष्टाचार भेंट बताया है।
राज्यपाल की रविशंकर प्रसाद से मुलाकात पर चर्चा क्यों?
राज्यपाल का किसी राजनीतिक नेता के घर जाना अपने आप में दुर्लभ माना जाता है। ऐसे में राज्यपाल और बीजेपी सांसद की यह मुलाकात स्वाभाविक रूप से राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन गई। दोनों नेताओं ने इसे निजी दोस्ती और शिष्टाचार मुलाकात बताया, लेकिन यह सवाल उठने लगा कि इसके सियासी मायने क्या हो सकते हैं।
रविशंकर प्रसाद का बयान
इस मुलाकात के बाद रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत में इसे पूरी तरह दोस्ताना मुलाकात बताया। उन्होंने कहा, “जब राज्यपाल पटना आए थे, तब मैंने उन्हें फोन किया था और उनसे मिलने की इच्छा जताई थी। हालांकि, उस समय वह केरल गए थे। जब वह वापस आए, तो उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि वह पहले मेरे घर आना चाहते हैं। यह उनका बड़प्पन और शिष्टाचार है। मैं उनका धन्यवाद करता हूं।”
उन्होंने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की विद्वता और शिष्टाचार की तारीफ करते हुए कहा, “बिहार को एक बहुत योग्य राज्यपाल मिला है। उनकी विद्वता और सादगी से राज्य को लाभ मिलेगा।”
राज्यपाल का बयान
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी मुलाकात को पुराने दोस्ती के रिश्ते से जोड़ा। उन्होंने कहा, “रविशंकर प्रसाद जी और मेरी मित्रता बहुत पुरानी है। यह मुलाकात सिर्फ एक मित्र की मित्रता निभाने के लिए थी।”
राज्यपाल ने यह भी बताया कि मुलाकात के दौरान उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था और सांस्कृतिक विषयों पर चर्चा की। इसके अलावा, गीता और कुंभ मेले पर भी बातचीत हुई।
सियासी चर्चाओं का बाजार क्यों गरम?
बिहार की राजनीति में हर छोटी घटना बड़ी अटकलों का कारण बन जाती है। राज्यपाल का बीजेपी सांसद के घर जाकर मिलना ऐसे समय में हो रहा है, जब राज्य में मकर संक्रांति के बाद संभावित राजनीतिक हलचलों की चर्चा हो रही है। विपक्ष और सत्ताधारी दलों के बीच लगातार बयानबाजी का दौर चल रहा है।
विपक्ष ने राज्यपाल की इस मुलाकात को बीजेपी के साथ उनकी नजदीकी के संकेत के रूप में देखा है। हालांकि, रविशंकर प्रसाद और राज्यपाल ने इस मुलाकात को पूरी तरह व्यक्तिगत बताया है।
मुलाकात के संभावित सियासी मायने
हालांकि, यह मुलाकात शिष्टाचार भेंट के रूप में हुई हो, लेकिन इसके कई सियासी पहलुओं पर चर्चा हो रही है:
- बीजेपी-राज्यपाल के रिश्ते: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में राज्यपाल और केंद्र सरकार के रिश्तों पर नजर रखना स्वाभाविक है।
- राजनीतिक संकेत: मकर संक्रांति के बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलने की अटकलों के बीच यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
- बीजेपी का संदेश: राज्यपाल का रविशंकर प्रसाद के घर जाना बीजेपी और राज्यपाल के रिश्तों को मजबूत दिखाने का प्रयास भी हो सकता है।
बिहार की राजनीति में आने वाले दिन
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज होती दिख रही हैं। ऐसे में हर छोटी घटना को राजनीतिक दृष्टि से देखा जा रहा है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और सांसद रविशंकर प्रसाद की यह मुलाकात भले ही निजी हो, लेकिन इसके प्रभावों पर नजर रखना जरूरी है। बिहार की राजनीति में शिष्टाचार और राजनीति का संतुलन कैसे बनता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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