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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी यादव को बड़ा झटका, चार विधायकों ने छोड़ा राजद का साथ

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि उनकी पार्टी के चार विधायकों ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है। यह घटनाक्रम उस समय हुआ है जब तेजस्वी यादव जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कार्यकर्ता दर्शन और संवाद दौरा कर रहे हैं।


राजद विधायकों का पार्टी छोड़ने का बड़ा फैसला

मुख्य विरोधी दल के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में बताया गया है कि राजद के चार विधायकों ने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ दी है। इन विधायकों के नाम हैं:

  1. प्रहलाद यादव
  2. नीलम देवी
  3. चेतन आनंद
  4. संगीता कुमारी

इस खबर ने बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। यह घटना विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजद के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है।


2024 में भी राजद को लगा था झटका

यह पहली बार नहीं है जब राजद को विधायकों के पार्टी छोड़ने का सामना करना पड़ा है। 2024 में, जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए के साथ सरकार बनाई थी, तब भी राजद के तीन विधायक सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए थे। यह उस समय हुआ जब राजद ने जेडीयू के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी।

अब, 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले चार और विधायकों का पार्टी छोड़ना राजद के लिए चिंता का विषय बन गया है।


तेजस्वी यादव की चुनौती बढ़ी

तेजस्वी यादव इस समय अपने कार्यकर्ता दर्शन और संवाद दौरे के जरिए जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी से विधायकों के जाने की खबर से उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा।

यह घटना न केवल राजद के लिए चुनावी गणित को प्रभावित करेगी, बल्कि इससे महागठबंधन में भी दबाव बढ़ सकता है। विपक्षी दलों की एकता और गठबंधन की मजबूती पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।


एनडीए को मिलेगा फायदा?

एनडीए ने पहले से ही बिहार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। ऐसे में राजद के विधायकों का पार्टी छोड़ना एनडीए के लिए चुनावी लाभ का संकेत हो सकता है।

एनडीए की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि उनके गठबंधन में कोई टूटफूट नहीं है। वहीं, राजद में मची खलबली से एनडीए अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।


बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बड़ा मुकाबला

बिहार में 2025 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बार का चुनाव महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधी टक्कर का होगा। ऐसे में राजद के लिए पार्टी के अंदर हो रही टूटफूट से उबरना और मजबूत वापसी करना बड़ी चुनौती होगी।


राजद के लिए आगे की राह

चार विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद राजद को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। तेजस्वी यादव को न केवल पार्टी के भीतर एकजुटता बनाए रखनी होगी, बल्कि महागठबंधन को मजबूत करने के लिए भी प्रयास करने होंगे।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना राजद के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी को अब आगामी चुनावों के लिए अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कड़ी मेहनत करनी होगी।

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